Thursday 11 October 2012

Joker Jasoos- Free Download


शुभानन्द
प्रस्तुत करते हैं-

जावेद-अमर-जॉन सीरीज़

का प्रथम उपन्यास 

जोकर जासूस

क्या होगा जब विदेशी जासूस, विदेशी गैंग और पाकिस्तानी आतंकवादी एक आविष्कार के पीछे हाथ धोकर पड़ जायेंगे? क्या भारतीय जासूस उनका मुकाबला कर सकेंगे?
रहस्य, एक्शन और रोमांच से भरपूर एक अनोखी दास्तान

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Friday 18 November 2011

Joker Jasoos- full novel

Dear All,


I know reading the novels in blog is really tough and tiring.
I'll upload my full Novel as PDF for download in coming time.


Thanks to all for your love and support

Monday 10 October 2011

Joker Jasoos: Chapter 5 to 10




5


इस तरह उस दिन कॉन्फ्रेंस प्रोफेसर के बिना ही हो गयी. उन्होंने माइग्रेन का बहाना बनाकर सबसे माफ़ी मांग ली. उनकी माफ़ी पर ध्यान दिए बगैर सभी इस बात पर चिंता करने लगे. कई लोगों ने उन्हें अपने रिसर्च सेंटर में आकर चैकप कराने का अनुरोध किया. उनसे दवाओं के बारे में पूछा जाने लगा. कई सावधानी बरतने को कहा गया. प्रोफेसर ने सबको चिंता करने का धन्यवाद् दिया , और कहा मैं अपना ख्याल रखूंगा.

Sunday 2 October 2011

Joker Jasoos: Chapter 1 to 4

जोकर जासूस


(जावेद-अमर सीरीज)


Prologue 



मेनहोल के ढक्कन को हटा के जोकर बाहर आ गया. वह तेजी से सड़क के किनारे एक तरफ बढ़ गया.
"ऐसी भी क्या जल्दी है, यार?" आवाज़ आई.
जोकर ने देखा सड़क के पार एक कार खड़ी थी. कार के अन्दर जॉन और बाहर अमर खड़ा था. उसके हाथ में रिवॉल्वर थी.
एक बार तो जोकर चौंका, फिर तुरंत सामान्य होते हुए बोला- "ओह! तो ये तुम हो. भारत के लाल, सुप्रसिद्ध जासूस- अमर. और जावेद कहाँ है? काफी नाम सुना है तुम लोगों का."

"नाम तो मैंने भी तुम्हारा बहुत सुना है, पर देख आज पहली बार रहा हूँ. तमन्ना थी-तुमसे मुलाकात की, पर इन हालातों में मिलेंगे ऐसा नहीं सोचा था."
"पर मेरे को पूरा विश्वास था. बात ये है न दोस्त- हमारा प्रोफेशन ही ऐसा है, की नॉर्मल हालातों में मिलना मुश्किल है."

अमर ने हामी भरी, फिर कार का दरवाजा खोल दिया. "आओ, बाकी बातें कार में होंगी."
"ओह! यानि- तुम मुझे पकड़ना चाहते हो?"
"ये तो बस आमंत्रण है, एक जासूस का दूसरे के लिए."
"अभी टाइम नहीं है दोस्त." कहकर जोकर आगे बढ़ गया.
"न..न..!" अमर ने फायर किया, गोली जोकर के बढ़ते कदम के ठीक आगे सड़क पे लगी. "इतने भी निष्ठुर मत बनो यार."
"ओह! यानि की जबरदस्ती है."
"तुम हमारे मेहमान बन जाओ, हमारे भारत महान में एक से एक महान लोग हैं, उनके हाथ आ गए तो अंजाम सोच भी नहीं सकते."
"मेरे को किसी की मदद नहीं चाहिए."
"और हमें अपने देश में कोई हंगामा नहीं चाहीये." इस बार अमर कुछ गुस्से में बोला-"चुपचाप बैठो वरना एक-दो गोली डाल के बैठना होगा."
जोकर ने कंधे उचकाए. "जैसी तुम्हारी मर्जी."
अमर ने फायर कर दिया.

---- इसी नोवेल से. पूरी कहानी जानने के लिए, अब शुरू से पढ़ें-------